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NCERT Solution For Class 7 Hindi Chapter 3 ‘हिमालय की बेटियाँ’ Q&A [2021-22]

 NCERT Solution For Class 7 Hindi Chapter 3 ‘हिमालय की बेटियाँ’ Q&A [2021-22]

 

हिमालय की बेटियाँ’

#कक्षा 7 वसंत भाग-2 [पाठ - 3 ‘हिमालय की बेटियाँ’ Q&A

यहाँ हम हिंदी कक्षा 7 वसंत भाग-2 पाठ 3 हिमालय की बेटियाँ’ के MCQ प्रश्न, अतिरिक्त प्रश्न और NCERT पुस्तक के अनुसार अभ्यास प्रश्नों के उत्तर इन सभी के बारे में जानेंगे ..

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By Apani Bhasha

पाठ क्रम

भाग 1

1) MCQ प्रश्न

2) अतिरिक्त प्रश्न

 

 

भाग 2

3) प्रश्न अभ्यास

 

लेखक परिचय  

लेखक – नागार्जुन

जन्म – 1911  मृत्यु – 1998 

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भाग 1

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भाग 2  


3) प्रश्न अभ्यास

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पाठ पर आधारित प्रश्न


1) नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है| लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं?
उत्तर :- नदी को बहुत सारे लेखक और कवियों ने माँ स्वरूप मानकर उसके गुण-गान गाये है लेकिन लेखक नागार्जुन ने नदियों को बेटियाँ, प्रेयसी तथा बहन के रूप में भी देखा है|

2) सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं?
उत्तर :- सिंधु और ब्रह्मपुत्र ये दो नदियाँ हिमालय से निकलने वाली प्रमुख और बड़ी नदियाँ हैं। लेखक कहते है कि वास्तव में ये दो नदियाँ हिमालय के पिघले दिल कि एक-एक बूँद एकट्ठा होकर बनी हैं| लेखक ने इन नदियों को हिमालय कि बेटियाँ भी कहा हैं| ये नदियाँ सुंदर और मन को मोहित करने वाली हैं|

3) काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?
उत्तर :- नदियाँ ही हैं जो देश के कोने-कोने में जल पहुँचने का काम करती हैं| जिस प्रकार एक माँ अपने बच्चे को जीवन देती है उसी प्रकार ये नदियाँ सभी सजीवों को जल प्रदान करके जीवन दान देने का काम करती हैं| माँ की तरह ही ये नदियाँ पवित्र हैं| भारत की भौगोलिक स्थिति को देखे तो शुरुआत में इन नदियों के किनारे पर ही लोगों ने अपनी बस्तियाँ बनाई थी| वही पर खेती-बाड़ी शुरू की| जमीन को उर्वरा बनाने में नदियों के जल का बड़ा योगदान रहता है| सिंचाई के साधनों के लिए पानी का मुख्य श्रोत नदियाँ ही हैं| आज भी बड़े-बड़े शहर नदियों के किनारे पर दिखाई देते हैं| ये नदियाँ शहरों कि तथा बड़े-बड़े कारखानों कि गंदगी को अपने साथ ले जाकर शहर को स्वच्छ बनती हैं| ये  नदियाँ केवल मानव ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी, पेड़-पौधे तथा जीव-जंतु सभी कि प्यास बुझाती हैं| ये सब के लिए कल्याणकारी हैं इसलिए काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है|

4) हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है?
उत्तर :- लेखक ने हिमालय कि यात्रा में नदियाँ, पर्वत, बर्फीली पहाड़ियाँ, हरी-भरी घाटियाँ तथा समुद्र कि प्रशंसा की है|

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लेख से आगे

1) नदियों और हिमालय पर अनेक कवियों ने कविताएँ लिखी हैं। उन कविताओं का चयन कर उनकी तुलना पाठ में निहित नदियों के वर्णन से कीजिए।
उत्तर :-
मैं नदी हूँ (नरेंद्र वर्मा)

हिमालय की गोद से बहती हूँ

तोड़कर पहाड़ों को अपने साहस से
सरल भाव से बहती हूँ|

लेकर चलती हूँ मैं सबको साथ
चाहे कंकड़ हो चाहे झाड़
बंजर को भी उपजाऊ बना दू
ऐसी हूँ मैं नदी|

बिछड़ों को मैं मिलाती
प्यासे की प्यास में बुझाती
कल-कल करके में बहती
सुर ताल लगाकर संगीत बजाती|

कहीं पर गहरी तो कहीं पर उथली हो जाती
ना कोई रोक पाया ना कोई टोक पाया
मैं तो अपने मन से अविरल बहती
मैं नदी हूँ|

मैं नदी हूँ
सब सहती चाहे आँधी हो या तूफान
चाहे शीत और चाहे गर्मी
कभी ना रूकती, कभी ना थकती
मैं नदी सारे जहाँ में बहती|

    उपरोक्त कविता नरेंद्र वर्मा जी द्वारा लिखित है| इस कविता की तुलना यदि नागार्जुन द्वारा लिखित निबंध से करें तो हम पाते हैं कि नरेंद्र वर्मा जी ने अपनी कविता में नदियों की चंचलता, साहस तथा उपयोगिता के बारे में विस्तृत वर्णन किया है| इस कविता में बताया गया है कि नदी कैसे हिमालय की गोद में बहती है| पहाड़ों को चीरकर यह अपने साथ कंकड़ लेकर जाती है| धरती को वह उपजाऊ बनती है| सबकी प्यास बुझती है| आँधी और तूफान में भी वह नहीं रुकती हमेशा चलती जाती है और अपना धर्म पूरा करती है| वहीं लेखक नागार्जुन ने अपने निबंध में नदियों को बेटियाँ, माँ, बहन और प्रेयसी इन ममता के रूपों में देखा है|

2) गोपालसिंह नेपाली की कविता ‘हिमालय और हम’, रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘हिमालय’ तथा जयशंकर प्रसाद की कविता ‘हिमालय के आँगन में’ पढ़िए और तुलना कीजिए।
उत्तर :- छात्र इस सवाल का जवाब पाठ को पढ़कर स्वयं लिखे-

3) यह लेख 1947 में लिखा गया था। तब से हिमालय से निकलनेवाली नदियों में क्या-क्या बदलाव आए हैं?
उत्तर :- 1947 के पहले से ही नदियाँ हिमालय से बह रही थी और आज भी वैसी ही बह रही है परंतु आधुनिकता के साथ-साथ नदियों का जल काफी हद तक प्रदूषित हो चुका है| नदियों के जल कि पवित्रता समाप्त हो रही है| इसका प्रमुख कारण बढ़ती जनसंख्या, औद्योगिक क्रांति, प्रशासकीय नियमों कि उपेक्षा आदि है| जगह-जगह नदियों पर बांध बनाए गए हैं इससे नदियों का प्रवाह दिन-ब-दिन कम होता जा रहा है| यह मानव जाती के लिए कल्याणकारी नहीं रहेगा| 1947 के बाद नदियों में हो रहे यह बदलाव मनुष्य के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं|

4) अपने संस्कृत शिक्षक से पूछिए कि कालिदास ने हिमालय को देवात्मा क्यों कहा है?
उत्तर :- हिमालय पर्वत पर अनेक देवताओं का निवास हैं ऐसा माना जाता है। जैसे देवों के देव महादेव, माता वैष्णो देवी, गंगा माता आदि तथा ऋषि-मुनि भी यहाँ साधना में लीन रहते हैं| यह देवताओं की भूमि मानी जाती है| इसलिए कालिदास ने हिमालय को देवात्मा कहा|

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अनुमान और कल्पना

1) लेखक ने हिमालय से निकलनेवाली नदियों को ममता भरी आँखों से देखते हुए उन्हें हिमालय की बेटियाँ कहा है| आप उन्हें क्या कहना चाहेंगे? नदियों की सुरक्षा के लिए कौन-कौन से कार्य हो रहे हैं? जानकारी प्राप्त करें और अपना सुझाव दें।
उत्तर :- नदियों का जन्म हिमालय पर्वत पर होने के कारण नदियों को हिमालय की बेटियाँ कहा गया है| इन नदियों को लेखक ने बेटियाँ, माँ, बहन, प्रेयसी आदि ममता भरे रूपों में देखा है| हम उन्हें माता ही कहेंगे क्योंकि नदियाँ  सभी जीवों को जल प्रदान करती हैं| धरती की प्यास बुझाती है| एक माँ की तरह वह सभी का लालन-पालन करती हैं| इसलिए नदियों को माता कहना ही श्रेयस्कर रहेगा|

सरकारी योजना के तहत नदियों को स्वच्छ करने के प्रयास सरकार द्वारा किए जा रहे हैं| जिसमें नदी पात्र कि सफाई, जल को प्रदूषण से बचाना, प्रदूषित जल को नदी में जाने से रोकना, पर्यटन स्थलों पर दिशा-निर्देशों का पालन करने हेतु जनता में जागृति लाना आदि योजनाएँ कुछ हद तक नदियों की सुरक्षा के लिए कार्य कर रही हैं| परंतु नदियों को स्वच्छ करने में वह योजनाएँ असमर्थ हैं|

नदियों को साफ-सुथरा बनाना है तो देश के हर एक नागरिक को यह स्वयं का कर्तव्य समझकर स्वच्छता की ओर ध्यान देना आवश्यक है| नदी प्रवाह में कचरा फेंकने पर रोक लगाना, कारखानों से निकलने वाले प्रदूषित जल को नदी प्रवाह में जाने से रोकना, किसी भी प्रकार से नदी का पानी प्रदूषित नहीं होगा इसकी खबरदारी रखना| अतः नदियों की पवित्रता हेतु जन-जागृति करना| इस प्रकार से हम नदियों की सुरक्षा हेतु कदम उठा सकते हैं|

2) नदियों से होनेवाले लाभों के विषय में चर्चा कीजिए और इस विषय पर बीस पंक्तियों को एक निबंध लिखिए।
उत्तर :- नदियों से हमें ढेर सारे फायदे मिलते है जैसे –

i) पीने का पानी

ii) खेती के लिए पानी

iii) आवागमन हेतु सहायक

iv) बिजली का निर्माण

v) कई व्यवसायों में सहायक

vi) बालू का निर्माण 

    नदी को जीवनदायिनी कहते है| सच में धरती पर नदियों का कार्य महान हैं| पीने के पानी का मुख्य श्रोत नदी ही है| अपने पवित्र जल से सब की प्यास बुझाने का महान कार्य करने का श्रेय नदी को ही मिला है| भारत की कृषिप्रधान संस्कृति में सबसे बड़ा योगदान नदियों का ही हैं| ये धरती को उपजाऊ बनती है| आवागमन हेतु नदी प्रवाह का उपयोग किया जाता है| कई जगह पर बांध बनाकर बिजली का निर्माण भी किया जाता है| नदी के जल से ही बड़े-बड़े व्यवसायों में पानी की जरूरत को पूरा किया जाता है| गृह निर्माण में सबसे जरूरी चीज बालू का निर्माण भी नदियों में से ही होता है| देश के ज्यादातर तीर्थक्षेत्र नदियों के किनारे बसे हैं इसी कारण नदियाँ पूजनीय भी हैं। नदियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी देश के हर नागरिक की है| नदियाँ हमारी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं| इन्हें दूषित होने से बचाना है| मानव जीवन इन्हीं पर निर्भर है|

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