Apani Bhasha |
CBSE 10th
Hindi
Sample Question Paper – 3 [2021-22]
हिंदी कोर्स – B
अंक - 40
प्रथम सत्र
v सामान्य
निर्देश:
1) इस प्रश्न पत्र में तीन खंड हैं खंड ‘क’, ‘ख’
और ग’
2) “खंड ‘क’ में कुल 2 प्रश्न पूछे गए हैं। दोनों प्रश्नों के कुल 20 उपप्रश्न दिए गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए कुल 10 उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।
3) “खंड ‘ख’ में 4 प्रश्न हैं तथा इन सभी के 21 उपप्रश्न हैं। इनमें से निर्देशानुसार 16 उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।
4)
खंड ग’ में कुल 3 प्रश्न हैं तथा 14 उपप्रश्न सम्मिलित हैं सभी उपप्रश्नों के
उत्तर दीजिए।
(खंड – ‘क’) अपठित गद्यांश
प्रश्न 1. नीचे दो गद्यांश दिए गए हैं। किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए| (1x5=5)
यदि आप इस गद्यांश का चयन कर रहे हैं तो कृपया उत्तर पुस्तिका में
लिखिए कि आप प्रश्न संख्या -1 में दिए गए गद्यांश -1 पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं|
अच्छा नागरिक बनने के लिए भारत के प्राचीन
विचारकों ने कुछ नियमों का प्रावधान किया है। इन नियमों में वाणी और व्यवहार की
शुद्धि, कर्तव्य और अधिकार का समुचित निर्वाह शुद्धतम पारस्परिक सदभाव और सेवा की
भावना आदि नियम बहुत महत्वपूर्ण माने गए हैं। ये सभी नियम यदि एक व्यक्ति के
चारित्रिक गुणों के रूप में भी अनिवार्य माने जाएँ तो उसका जीवन सुखी और
आनंदमय हो सकता है। सभी गुणों का विकास एक बालक में यदि उसकी बाल्यावस्था से ही
किया जाए तो वह अपने देश का श्रेष्ठ नागरिक बन सकता है। इन गुणों के कारण वह अपने
परिवार, आस-पड़ोस विद्यालय में अपने सहपाठियों एवं अध्यापकों के प्रति यथोचित
व्यवहार कर सकेगा।
वाणी एवं व्यवहार की मधुरता सभी के लिए सुखदायक
होती है, समाज में हार्दिक सद्भाव की वृद्धि करती है किंतु अहंकारहीन व्यक्ति ही
स्निग्ध वाणी और शिष्ट व्यवहार का प्रयोग कर सकता है। अहंकारी और दंभी व्यक्ति सदा
अशिष्ट वाणी और व्यवहार का अभ्यासी होता है। जिसका परिणाम यह होता है कि ऐसे आदमी
के व्यवहार से समाज में शांति और सौहार्द का वातावरण नहीं बनता।
जिस प्रकार एक व्यक्ति समाज में रहकर अपने
व्यवहार से कर्तव्य और अधिकार के प्रति सजग रहता है, उसी तरह देश के प्रति भी उसका
व्यवहार कर्तव्य और अधिकार की भावना से भावित रहना चाहिए। उसका कर्तव्य हो जाता है
कि न तो वह स्वयं कोई ऐसा काम करे और न ही दूसरों को करने दे, जिसमें देश के
सम्मान, संपत्ति और स्वाभिमान को ठेस लगे। समाज एवं देश में शांति बनाए रखने के
लिए धार्मिक सहिष्णुता भी बहुत आवश्यक है। यह वृत्ति तभी आ सकती है जब व्यक्ति संतुलित
व्यक्तित्व का हो वह आंतरिक व बाहरी संघर्ष से परे सामाजिकता की अनुभूति से
परिपूर्ण व्यक्तित्व होना चाहिए।
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(1) गद्यांश के
संदर्भ में अच्छा नागरिक बनने के लिए नियमों का प्रावधान आवश्यक है. क्योंकि यह -
(क) स्वतंत्रता
को बढ़ावा देता है जिससे वातावरण को शांति से परिपूर्ण करता है।
(ख) व्यक्तित्व
को निखारकर जीवन को आमोद-प्रमोद से परिपूर्ण करता है।
(ग) व्यक्तित्व
को निखारकर जीवन को सुख और मंगलकामना से परिपूर्ण करता है।
(घ) व्यक्ति को
अहंकार, स्निग्ध वाणी और शिष्ट व्यवहार से परिपूर्ण करता है।
(2) वाणी में
व्यवहार की मधुरता सभी के लिए सुखदायक होती है इस कथन के लिए उपयुक्त तर्क है -
(क) देश के
सम्मान, संपत्ति और स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है।
(ख) देश व समाज
में शांति और सौहार्द का वातावरण नहीं बनता।
(ग) कर्तव्य और
अधिकार का समुचित निर्वाह बहुत आवश्यक है।
(घ) समाज में
हार्दिक सद्भाव की वृद्धि और सुख की प्रतिष्ठा होती है।
(3) अहंकारी और
दंभी व्यक्ति सदा अभ्यासी होता है -
(क) अशिष्ट वाणी और व्यवहार का |
(ख) मधुर एवं
अशिष्ट व्यवहार का |
(ग) अशिष्ट वाणी
एवं व्यवहार की शुद्धि का |
(घ) स्निग्ध
वाणी और अशिष्ट व्यवहार का |
(4) संतुलित
व्यक्तित्व से तात्पर्य है -
(क) आंतरिक व
बाहरी संघर्ष से पूर्ण सामाजिकता की अनुभूति से परिपूर्ण व्यक्तित्व |
(ख) देश में
पूर्णत: आदर्श नागरिक का व्यवहार करने वाला सुखदायक व्यक्तित्व |
(ग) आंतरिक व
बाहरी संघर्ष से रहित संपूर्ण सामाजिकता की अनुभूति से परिपूर्ण व्यक्तित्व ।
(घ) कर्तव्य और
अधिकार के प्रति सजग रहने वाला भावुक प्रवृत्ति से परिपूर्ण व्यक्तित्व |
(5) धार्मिक
सहिष्णुता की स्थापना आवश्यक है क्योंकि इससे -
(क) अधिकार और
कर्तव्य पर विजय प्राप्त हो जाएगी।
(ख) देश की
संपत्ति को नुकसान नहीं पहुँचेगा ।
(ग) भारतीय
संविधान की प्रतिष्ठा बनी रहेगी।
(घ) समाज एवं
देश में शांति व्यवस्था बनी रहेगी।
अथवा
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यदि आप इस गद्यांश का चयन कर रहे हैं तो कृपया उत्तर पुस्तिका में
लिखिए कि आप प्रश्न संख्या -1 में दिए गए गद्यांश -2 पर आधारित
प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं|
नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक
पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए|
साहित्य की शाश्वतता का प्रश्न एक महत्वपूर्ण
प्रश्न है| क्या साहित्य शाश्वत होता है? यदि हाँ, तो किस मायने में? क्या कोई
साहित्य अपने रचनाकाल के सौ वर्ष बीत जाने पर भी उतना ही प्रासंगिक रहता है, जितना
वह अपनी रचना के समय था? अपने समय या युग का निर्माता साहित्यकार क्या सौ वर्ष बाद की परिस्थितियों का भी युग निर्माता हो
सकता है। समय बदलता रहता है, परिस्थितियाँ और भावबोध बदलते हैं, साहित्य बदलता है
और इसी के समानांतर पाठक की मानसिकता और अभिरुचि भी बदलती है। अतः कोई भी कविता
अपने सामयिक परिवेश के बदल जाने पर ठीक वही उत्तेजना पैदा नहीं कर सकती, जो उसने
अपने रचनाकाल के दौरान की होगी। कहने का तात्पर्य यह है कि एक विशेष प्रकार के
साहित्य के श्रेष्ठ अस्तित्व मात्र से वह साहित्य हर युग के लिए उतना ही विशेष
आकर्षण रखे, यह आवश्यक नहीं है। यही कारण कि वर्तमान युग में इंगला पिंगला,
सुषुम्ना अनहद नाद आदि पारिभाषिक शब्दावली मन में विशेष भावोतेजन नहीं करती।
साहित्य की श्रेष्ठता मात्र ही उसके नित्य आकर्षण का आधार नहीं है उसकी श्रेष्ठता
का युगयुगीन आधार है, वे जीवन मूल्य तथा उनकी अत्यंत कलात्मक अभिव्यक्तियाँ जो
मनुष्य की स्वतंत्रता तथा उच्चतर मानव-विकास के लिए पथ-प्रदर्शक का काम करती है।
पुराने साहित्य का केवल वही श्री-सौंदर्य हमारे लिए ग्राहय होगा, जो नवीन
जीवन-मूल्यों के विकास में सक्रिय सहयोग दे अथवा स्थिति रक्षा में सहायक हो। कुछ
लोग साहित्य की सामाजिक प्रतिबद्धता को अस्वीकार करते हैं। वे मानते हैं कि
साहित्यकार निरपेक्ष होता है और उस पर कोई भी दबाव आरोपित नहीं होना चाहिए। किंतु वे
भूल जाते हैं कि साहित्य के निर्माण की मूल प्रेरणा मानव-जीवन में ही विद्यमान
रहती है। जीवन के लिए ही उसकी सृष्टि होती है| तुलसीदास जब स्वातः सुखाय
काव्य-रचना करते हैं, तब अभिप्राय यह नहीं रहता कि मानव-समाज के लिए इस रचना का
कोई उपयोग नहीं है, बल्कि उनके अंतःकरण में संपूर्ण संसार की सुख भावना एवं हित
कामना सन्निहित रहती है। जो साहित्यकार अपने संपूर्ण व्यक्तित्व को व्यापक लोक
जीवन में सन्निविष्ट कर देता है, उसी के हाथों स्थायी एवं प्रेरणाप्रद साहित्य का
सृजन हो सकता है।
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(1) साहित्य की
श्रेष्ठता का निर्धारण सुनिश्चित करता है कि वह
(क) व्यक्ति को
बहुमुखी प्रतिभा का धनी बनाता है।
(ख) लोक व्यवहार
की पराकाष्ठा पर प्रतिक्रिया देता है।
(ग) सांस्कृतिक
व ऐतिहासिक विरासत को बाधित करता है।
(घ) पथ-प्रशस्त
कर मूल्यों का समावेशन करके कला भाव जगाता है।
(2) नवीन जीवन
मूल्यों के विकास में सक्रिय सहयोग से आशय है
(क) स्वांतः
सुखाय की कामना कर आगे बढ़ना।
(ख)
श्री-सौंदर्य को प्राथमिकता देकर आगे बढ़ना
(ग) नवाचार व
मूल्यों को आत्मसात कर आगे बढ़ना।
(घ) वर्तमान में
साहित्य के माध्यम से आगे बढ़ना।
(3) ‘कोई
साहित्य अपने रचना काल के सौ वर्ष बीत जाने पर भी उतना ही प्रासंगिक रहता है।‘ कथन
के आधार पर उचित तर्क है -
(क) साहित्य की
श्रेष्ठता मात्र ही उसके नित्य आकर्षण का आधार नहीं है।
(ख) सपूर्ण
साहित्य का स्थायी व स्पष्ट आधार नहीं है।
(ग) लोक
कल्याणकारी, स्थायी एवं प्रेरणाप्रद साहित्य होने की दशा में |
(घ) पारिभाषिक
शब्दावली द्वारा स्पष्टीकरण करने की दशा में |
(4) “साहित्यकार
निरपेक्ष होता है और उस पर कोई भी दबाव आरोपित नहीं होना चाहिए।" कथन किस
मनोवृति को प्रकट करत हैं -
(क) सामाजिक
कार्यकर्ता की विचारधारा |
(ख) साहित्य की
शाश्वत क्रियाशील विचारधारा
(ग) समाज के प्रति
वचनबद्धता का अभाव।
(घ) निरपेक्ष
व्यक्तियों की सकारात्मकता।
(5) गधाश
में प्रयुक्त मानव-जीवन समस्त पद का विग्रह एवं समास भेद होगा -
(क) मानव या
जीवन - द्वंद्व समास ।
(ख) मानव का
जीवन - तत्पुरुष समास|
(ग) मानव रूपी
जीवन - द्विगु समास ।
(घ) मानव जो
जीवन जीता है - अव्ययीभाव समास|
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प्रश्न 2.
नीचे दो गद्यांश दिए गए हैं। किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर
आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए| (
1x5=5)
यदि आप इस गद्यांश का चयन कर रहे हैं तो कृपया उत्तर पुस्तिका में
लिखिए कि आप प्रश्न संख्या -2 में दिए गए गद्यांश -1 पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं|
जो लोग अपनी असफलताओं के लिए या जीवन में गतिरोध
के हालातों को जिम्मेदार ठहराते हैं, वे लोग या तो गलत है या हालात से डरते है। वे
या तो जीवन को समझ नहीं पाए या उलझनों में फँसे हुए हैं | वे या तो आलसी हैं या
अकर्मण्य है। एक कारण और भी हो सकता है कि उनकी नीयत और नीति में मेल न हो। यह अति
आवश्यक है कि नीयत और नीति दोनों एक सूत्र में पिरोई हुई हो अर्थात् मेल खाती हो|
ऐसा कदापि संभव नहीं है और नीयत मानसिक इच्छा है, जो खोटी भी हो सकती है और खरी भी
| खोटी नीयत वाला व्यक्ति कदापि इस संसार में नहीं टिक सकता और यदि टिकेगा, तो
बहुत कम समय के लिए केवल तब तक जब तक उसकी नीयत खुलकर सामने नहीं आती क्योंकि नीति
की जननी नीयत और जब जननी में ही दोष है, तो संतान में कोई-न-कोई विकृति अवश्य आ
जाएगी। ऐसे में यह मनुष्य गलत नीयत एवं नीति के कारण पतन का भागी होगा। हालातों को
असफलता के लिए जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं लगता क्योंकि हालात तो उनके साथ भी यही
होते हैं या लगभग वही होते हैं. जो सफलता प्राप्त करते हैं। यदि कोई व्यक्ति अपनी
असफलताओं की जिम्मेदारी खुद नहीं ले सकता, तो वह अपनी सफलता की जिम्मेदारी लेने के
काबिल नहीं है। जीवन का असली आनंद तो तभी ह, जब परिस्थितियाँ विषम हो।
(1) किस तरह के
लोगों की नीयत और नीति में मेल नहीं रहता है?
(क) हालात को
जिम्मेदार ठहराने वाले लोग।
(ख) जीवन को न
समझने वाले लोग।
(ग) अकर्मण्य व
आलसी लोग।
(घ) उपर्युक्त
सभी |
(2) खोटी नीयत
वाला व्यक्ति इस संसार में क्यों नहीं टिक पाता?
(क) गलत नीयत या नीति के कारण।
(ख) अवगुणों के
कारण।
(ग) उदारता के
कारण।
(घ) समय अभाव के
कारण।
(3) जो लोग जीवन
को समझ नहीं पाए वे कौन है?
(क) साधु लोग।
(ख) विद्वान
लोग।
(ग) अकर्मण्य व
आलसी लोग|
(घ) नादान लोग।
(4) लेखक ने नीति
की जननी किसे कहा है?
(क) नीयत को।
(ख) सोच को|
(ग) व्यवहार को|
(घ) समय को|
(5) जीवन का
असली आनंद कब मिलता है?
(क) खुशियों
में।
(ख) उत्सवों
में।
(ग) विषम परिस्थितियों में।
(घ) मित्रों के
साथ
अथवा www.apanibhasha.com
यदि आप इस गद्यांश का चयन कर रहे हैं तो कृपया उत्तर पुस्तिका में
लिखिए कि आप प्रश्न संख्या -2 में दिए गए गद्यांश -2 पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं|
संसार में दो ऐसी शक्तियाँ जो संसार को सही राह
दिखाती है, वे है- वाणी और कर्म। इन दो शक्तियों के बल पर व्यक्ति बन भी सकता है
और बिगड़ भी सकता है। शब्द की महिमा अपार है। विश्व में साहित्य, कला और विज्ञान
सब शब्दशक्ति के प्रतीक प्रमाण है। ऐसे शब्द व्यर्थ है जिसका आचरण पर प्रभाव न हो।
प्रायः सज्जन व्यक्ति संसार को अपने कर्म एवं वाणी द्वारा राह दिखाते हैं।
हम सभी जानते हैं कि शब्दशक्ति जितनी महान उतनी
ही कर्मशक्ति| शब्द का कर्म पर प्रभाव पड़ना आवश्यक है। मनुष्य जैसे कर्म करेगा
वैसे शब्द कहेगा या जैसे शब्द कहेगा वैसे कर्म करेगा।
महात्मा गाँधी जी का सम्पूर्ण जीवन इन्हीं दोनों
से युक्त था| वे जैसा कहते थे वैसा ही करते थे। उनका विश्वास शब्दों की अपेक्षा कर्मों
पर अधिक था| वे रचनात्मक कर्मों को प्रधानता देते थे। वे जानते थे कि व्यक्ति महान
पैदा नहीं होता बल्कि अपने विचार और काम की शुद्धता द्वारा महान कहलाता है। उनका
मकसद समाज में बदलाव लाना था।
(1) उपरोक्त
अनुच्छेद का उपयुक्त शीर्षक क्या होगा?
(क) वाणी और कर्म|
(ख) वाणी
(ग) कर्म।
(घ) शब्द|
(2) प्रायः
सज्जन व्यक्ति संसार को राह दिखाते हैं -
(क) बुद्धि के द्वारा।
(ख) अपने कर्म एवं वाणी द्वारा|
(ग) घमंड द्वारा।
(घ) इन सबके द्वारा|
(3) विश्व में
साहित्य, कला और विज्ञान सब -
(क) शब्दशक्ति से अलग है।
(ख) शब्दशक्ति के
प्रतीक प्रमाण हैं |
(ग) शब्दशक्ति का ज्ञान देते हैं।
(घ) इसमें से कोई
नहीं|
(4) गाँधी जी की
महानता यह थी कि वे
(क) जो कहते थे वहीं करते थे।
(ख) धन को ही
सर्वस्व मानते थे।
(ग) निस्वार्थ भाव से अपने कर्मों को करते थे।
(घ) ईश्वर
की बस आराधना करते थे।
(5) व्यक्ति
महान कब होता है?
(क) सदचरित द्वारा।
(ख) धन द्वारा।
(ग) स्वास्थ्य द्वारा।
(घ) विचार और कर्मों
द्वारा|
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खण्ड (ख) (व्यावहारिक व्याकरण)
प्रश्न 3.
निम्नलिखित पाँच भागों में से किन्हीं चार प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प
चुनिए - (1x4=4)
(1) रमन पत्र लिख
रहा है। (रखांकित पदबंध का प्रकार बताइए)
(क) सर्वनाम पदबंध
(ख) विशेषण पदबंध |
(ग) संज्ञा पदबंध
(घ) किया पदबंध|
(2) सबकी सहायता
करने वाले बालक सभी को प्रिय होते है। (वाक्य में संज्ञा पदबंध है)
(क) सहायता करने वाले।
(ख) सबकी सहायता करने वाले
बालक
(ग) बालक।
(घ) सभी को प्रिय
(3) दुकान से
उदास चेहरे बाहर झाँकने लगे। (रखांकित पदबंध का प्रकार बताइए)
(क) सर्वनाम पदबंध
(ख) विशेषण पदबंध।
(ग) क्रिया पदबंध
(घ) संज्ञा पदबंध
(4) सत्यवादी
हरिश्चंद का नाम कौन नहीं जानता (रेखांकित पदबंध का प्रकार बताइए)
(क) सर्वनाम पदबंध
(ख) विशेषण पदबंध
(ग) क्रिया विशेषण पदबंध
(घ)
संज्ञा पदबंध
(5) सूर्य
पश्चिम में डूब रहा है। (रेखांकित पदबंध का प्रकार बताइए)
(क) सर्वनाम पदबंध।
(ख) विशेषण
पदबंध।
(ग) संज्ञा पदबंध
(घ) क्रिया पदबंध
प्रश्न 4. निर्देशानुसार
पाँच भागों में से किन्ही चार प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए - (1x4=4)
(1) निम्नलिखित
वाक्यों में से मिश्र वाक्य छाँटकर लिखिए -
(क) एक छोटा सा
गाँव था जिसके चारों ओर जंगल था।
(ख) गाँव के ओर चारों
ओर जंगल था।
(ग) एक छोटे से
गाँव के चारों ओर जंगल था।
(घ) उपर्युक्त
में से कोई भी नहीं।
(2) सूर्योदय
होते ही चारों और उजाला फैल गया (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(क) सूर्योदय
हुआ, उजाला हो गया।
(ख) सूर्योदय
हुआ और चारों ओर उजाला फैल गया।
(ग) सूर्योदय से
उजाला गया।
(घ) उजाला हुआ
सूर्योदय हो गया।
(3) निम्नलिखित
वाक्यों में से सरल वाक्य छाँटकर लिखिए -
(क) जो ईमानदार
व्यक्ति होते हैं वे सफल होते हैं।
(ख) ईमानदार
व्यक्ति सफल होंगे।
(ग) वे ईमानदार
और सफल व्यक्ति है।
(घ) सफल व्यक्ति
ईमानदार है।
(4) राधा ने
अपनी कथा सुनाई और सुनयना रो पड़ी (मिश्रित वाक्य में बदलिए)
(क) राधा ने कथा
सुनाकर सुनयना को रूला दिया।
(ख) राधा ने
अपनी ऐसी कथा सुनाई कि सुनयना रो पड़ी।
(ग) सुनयना धन्नो
की कथा सुनकर रो पड़ी।
(घ) उपर्युक्त
में से कोई नहीं
(5) सुनैना ने हँसने
वाला चुटकुला सुनाया सभी हँस पड़े| (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(क) सुनैना ने हँसने
वाला चुटकुला सुनाया और सभी हँस पड़े।
(ख) सुनैना ने
इतना मजेदार चुटकुला सुनाया कि सभी हँसने लगे।
(ग) सुनैना ने
हँसने वाला चुटकुला सुनाया।
(घ) सुनैना ने
मजेदार चुटकुला सुनाया।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित छ भागों में से किन्ही चार प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए - (1x4=4)
(1) ‘उतर का
उत्तर’ का समस्तपद बताइए।
(क) प्रत्यक्ष
(ख) प्रति उत्तर
(ग) प्रत्युत्तर
(घ) प्रतीक्षा
(2) निर्विवाद
में कौन सा समास है?
(क) तत्पुरुष समास |
(ख) बहुव्रीहि समास ।
(ग) कर्मधारय समास
(घ) अव्ययीभाव समास |
(3) षडानन का
विग्रह है -
(क) वह जिसके षड आनन है अर्थात कार्तिकेय |
(ख) जिसकी छः भूजाएँ है ।
(ग) जिसके छः मुँह है
(घ) जिसके षड आनन है
(4) वह इकलौता
पुत्र है। (रखांकित पदों का समस्त पद बताकर समास का नाम बताइए)
(क) अकेला /तत्पुरुष समास |
(ख) एक ही है
जो / द्विगु समास ।
(ग) एक ही / कर्मधारय समास
(घ) एकाएक / अव्ययीभाव समास |
(5) नीलोत्पल का
विग्रह बताइए –
(क) नीला पल।
(ख) नीला है जो पल
(ग) नाला है जो उत्पल (कमल)
(घ) नीला कमल
(6) चौराहा में
कौन-सा समास है।
(क) बहुव्रीहि ।
(ख) तत्पुरुष
(ग) अव्ययीभाव
(घ) द्विगु
प्रश्न 6.
निम्नलिखित पाँच भागों में से किन्ही चार प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार दीजिए
तथा सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए - (1x4=4)
(1) बहुत दिनों
से इस काम में लगे हो अब इसकी ------------ कर ही दो | (रिक्त स्थान की पूर्ति
उचित मुहावरे द्वारा करें)
(क) इति श्री करना।
(ख) आकाश पटल एक करना |
(ग) अवसर ताकना |
(घ) ईद का चाँद |
(2) ‘शेर के
दाँत गिनना’ मुहावरे का अर्थ बताइए।
(क) कल्पना लोक |
(ख) कुछ न सूझना |
(ग) सिद्धि प्राप्त व्यक्ति।
(घ)
दुस्साहस करना |
(3) ‘हिरन हो
जाना’ मुहावरे का अर्थ है -
(क) बढ़ा चढ़ाकर बात करना।
(ख) खत्म करना |
(ग) गायब होना।
(घ) मना करना |
(4) मुहल्ले में
हुई लड़ाई को ----------- बनाया गया। (रिक्त स्थान की पूर्ति उचित मुहावरे द्वारा
करें।)
(क) घुटने टेकने।
(ख) सिक्का जमाना।
(ग) राई का पहाड़|
(घ) हथियार डालने|
(5) रामू की
शराब की आदत ने उसके परिवार की ------------ है| (रिक्त स्थान की पूर्ति उचित
मुहावरे द्वारा करें।)
(क) बाजी लगा देना|
(ख) बेइज्जत
करना।
(ग) इज्जत मिट्टी में मिलाना|
(घ) शर्मसार करना|
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(खंड – ‘ग’) पाठ्यपुस्तक
प्रश्न 7.
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प छाँटकर दीजिए| (1x4=4)
जब मैं था तो हरि नहीं, अब हरि है मैं नाहिं |
सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि |
सुखिया सब संसार है, खायै अरू सोवै |
दुखिया दास कबीर है, जागै अरू रोवै ||
(1) उपर्युक्त पंक्तियों
में कवि ने ‘मैं’ शब्द किसके लिए प्रयोग किया है?
(क) घमंड एवं अहंकार |
(ख) समझदारी |
(ग) देशभक्ति |
(घ) लालच |
(2) कवि ने दीपक
की तुलना किससे की है?
(क) मित्र |
(ख) रिश्तेदार |
(ग) सच्चे ज्ञान |
(घ) अहंकार |
(3) कवि के
अनुसार संसार कैसा है?
(क) सुखी |
(ख) धनवान |
(ग) अहंकारी |
(घ) दुखिया |
(4) संसार के लोग
क्या करते है?
(क) जागते हैं |
(ख) सोते हैं |
(ग) खाते हैं |
(घ) खाते
हैं और सोते हैं |
प्रश्न 8.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प छाँटकर दीजिए| (1X5=5)
भाई साहब उपदेश की कला में निपुण थे| ऐसी-ऐसी लगती बात कहते,
ऐसे-ऐसे सूक्ति-बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट
जाती। इस तरह जान तोड़कर मेहनत करने की शक्ति मैं अपने में न पाता था और उस निराशा में
जरा देर के लिए मैं सोचने लगता- ‘क्यों न घर चला जाऊँ| जो काम मेरे बूते के बाहर
है, उसमें हाथ डालकर क्यों अपनी जिंदगी खराब करूँ। मुझे अपना मूर्ख रहना मंजूर था,
लेकिन उतनी मेहनत में मुझे तो चक्कर आ जाता था, लेकिन घंटे दो घंटे के बाद निराशा
के बादल फट जाते और में इरादा करता कि आगे से खूब जी लगाकर पढ़ूँगा| चटपट एक
टाइम-टेबिल बना डालता।
(1) बड़े भाई
साहब किस कला में निपुण थे?
(क) चित्रकला में।
(ख) पाक कला में|
(ग) उपदेश कला में|
(घ) पतंग बाजी में|
(2) बड़े भाई
साहब सूक्ति बाण किस पर चलाते थे?
(क) लेखक पर|
(ख) लोगों पर।
(ग) मित्रों पर।
(घ) घरवालों पर
(3) टाइम-टेबल
कौन बना डालाता?
(क) भाई साहब।
(ख) शिक्षक।
(ग) प्रशासन।
(घ)
छोटा भाई|
(4) निराशा के बादल
फटने पर लेखक क्या सोचता?
(क) घर वापस जाने का।
(ख) खूब पढ़ने का|
(ग) भाग जाने का।
(घ) भाई साहब से लड़ने
का|
(5) छोटे भाई को
चक्कर क्यों आ जाती थी?
(क) घर वापस जाने पर|
(ख) अधिक मेहनत से|
(ग) खूब खेलने पर|
(घ) गृहकार्य करने पर।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प छाँटकर दीजिए|
(1X5=5)
आज न तताँरा है न वामीरो किंतु उनकी यह प्रेमकथा
घर-घर में सुनाई जाती है। निकोबारियों का मत है कि तताँरा की तलवार से कार-निकोबार
के जो टुकड़े हुए, उसमें दूसरा लिटिल अंदमान है जो कार निकोबार से आज 96 कि.मी. दूर
स्थित है। निकोबारी इस घटना के बाद दूसरे गाँवों में भी आपसी वैवाहिक संबंध करने
लगे। तताँरा-वामीरो की त्यागमयी मृत्यु शायद इसी सुखद परिवर्तन के लिए थी|
(1) किनकी प्रेम
कथा घर-घर में सुनाई जाती है?
(क) तताँरा-वामीरो की |
(ख) राजा रानी की |
(ग) तताँरा की |
(घ) अंडमान की
(2) लिटिल
अंदमान कार निकोबार से ‘कितनी दूर पर है?
(क) 69 कि.मी.
(ख) 86 कि.मी.
(ग) 96 कि.मी.
(घ) 68 कि.मी.
(3) तताँरा-वामीरो
की मृत्यु से क्या परिवर्तन हुआ?
(क) प्रकृति में असंतुलन हो गया।
(ख) गाँवों
में वैवाहिक संबंध होने लगे।
(ग) गाँवों के लोगों में शत्रुता हो गई।
(घ)
खुशियाँ या गई|
(4) कार निकोबार
से अलग टुकड़े का नाम क्या है?
(क) निकोबार
(ख) लिटिल
(ग) अदमान।
(घ) लिटिल अंडमान
(5) तताँरा-वामीरो
की मृत्यु से क्या हुआ?
(क) सुखद परिवर्तन।
(ख) दुखद परिवर्तन।
(ग) रहस्यमयी परिवर्तन|
(घ) इनमें से कोई नहीं।
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उत्तरमाला - Sample Question Paper - 3
उत्तरमाला | उत्तरमाला |
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प्रश्न 1 - ① (1 - ख) (2 - घ) (3 - क) (4 - ग) (5 - घ) |
प्रश्न 5 (1 - ग) (2 - क) (3 - क) (4 - ख) (4 - ख) (5 - ग) (6-घ) |
प्रश्न 1 ② (1 - घ) (2 - ग) (3 - ग ) (4 - ग) (5 - ख) |
प्रश्न 6 (1 - क) (2 - घ ) (3 - ग) (4 - ग ) (5 - ग) |
प्रश्न 2 ① (1 - घ) (2 - क) (3 - ग) (4 - क) (5 - ग) |
प्रश्न 7 (1 - क) (2 - ग) (3 - क) (4 - घ) |
प्रश्न 2 ② (1 - क) (2 - ख) (3 - ख) (4 - क) (5 - घ ) |
प्रश्न 8 (1 - ग) (2 - क) (3 - घ) (4 - ख) (5 - ख) |
प्रश्न 3 (1 - घ) (2 - ख ) (3 - ग) (4 - घ) (5 - घ) |
प्रश्न 9 (1 - क ) (2 - ग) (3 - ख) (4 - घ) 95 - क) |
प्रश्न 4 (1 - क) (2 - ख) (3 - ख) (4 - ख) (5 - क) |
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