NCERT Solutions For Class 8 Hindi Chapter 1 'ध्वनि' [2021-22]
Dvani |
कविता….
‘ध्वनि’
अभी न होगा मेरा अंत
अभी-अभी ही तो आया है
मेरे मन में मृदुल वसंत
अभी न होगा मेरा अंत
भावार्थ _ ‘ध्वनि’ इस कविता के कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी है| इस कविता के पहले चरण के माध्यम से कवि कहना चाहते है कि अभी-अभी मेरे मन में मृदुल वसंत का आगमन हुआ है अर्थात मुझे जीवन को सफल बनाने का तरीका मिल गया है और यह बात मुझे नवयुवकों तक पहुँचानी है| जब तक मैं यह बात नवयुवकों तक नहीं पहुँचाऊँगा और उन्हें सफलता के कगार तक लेकर नहीं जाऊँगा तब तक मेरा अंत नहीं होगा|
हरे-हरे ये पात,
डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर
फेरूंगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर।
भावार्थ _ ‘ध्वनि’ इस कविता के कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी है| इस कविता के दूसरे चरण के माध्यम से कवि कहना चाहते है कि जिस प्रकार प्रकृति में वसंत आ जाने के बाद प्रकृति का रूप बदल जाता है, पेड़-पौधों के पत्ते हरे-भरे बन जाते है उसी प्रकार देश के नवयुवक इन डालियाँ, कलियों के समान कोमल है परंतु इनमें से कुछ अभी तक निद्रित अवस्था में (मायूस और निराश) है| उन पर से मैं मेरा स्वप्न-मृदुल कर फेरूँगा अर्थात मुझे जो जीवन को सफल बनाने के उपाय मिल गए है उसका संचार मैं उन नवयुवकों के अंदर कर दूँगा जिससे उनके जीवन में एक प्रकाशमान मनोहर सुबह का आगमन होगा और उनका जीवन सफलता की और अग्रेसर होगा|
पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं।
अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं।
भावार्थ _ ‘ध्वनि’ इस कविता के कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी है| इस कविता के तीसरे चरण के माध्यम से कवि कहना चाहते है कि मैं पुष्प-पुष्प से अर्थात नवयुवकों के स्वभाव से तंद्रालस (निंद के कारण होने वाला आलस) लालसा निकालकर, खींचकर बाहर फेंक दूँगा और अपने नव जीवन का अर्थात कवि को अभी-अभी मिल हुआ उत्साह, उमंग, जोश का अमृत नवयुवकों के स्वभाव में भर दूँगा|
द्वार दिखा दूंगा फिर उनको
हैं वे मेरे जहाँ अनंत
अभी न होगा मेरा अंत।
भावार्थ _ ‘ध्वनि’ इस कविता के कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी है| इस कविता के चौथे चरण के माध्यम से कवि कहना चाहते है कि नवयुवकों के अंदर उत्साह, उमंग, जोश का अमृत सींच देने के बाद वे अपने लक्ष्य की तरफ, सफलता की तरफ, विकास की तरफ आगे-कूच करेंगे| कवि का जो लक्ष्य है वहाँ तक वे उनको पहुँचा देंगे अर्थात सफलता का द्वार नवयुवकों को दिखा देंगे| इतना सारा कार्य होने तक कवि का अंत नहीं होगा इस बात का कवि को पूरा विश्वास है|
Class 8 Text Book👇
अभी न होगा मेरा अंत
अभी-अभी ही तो आया है
मेरे मन में मृदुल वसंत
अभी न होगा मेरा अंत
भावार्थ _ ‘ध्वनि’ इस कविता के कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी है| इस कविता के पहले चरण के माध्यम से कवि कहना चाहते है कि अभी-अभी मेरे मन में मृदुल वसंत का आगमन हुआ है अर्थात मुझे जीवन को सफल बनाने का तरीका मिल गया है और यह बात मुझे नवयुवकों तक पहुँचानी है| जब तक मैं यह बात नवयुवकों तक नहीं पहुँचाऊँगा और उन्हें सफलता के कगार तक लेकर नहीं जाऊँगा तब तक मेरा अंत नहीं होगा|
apani bhasha
हरे-हरे ये पात,
डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर
फेरूंगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर।
भावार्थ _ ‘ध्वनि’ इस कविता के कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी है| इस कविता के दूसरे चरण के माध्यम से कवि कहना चाहते है कि जिस प्रकार प्रकृति में वसंत आ जाने के बाद प्रकृति का रूप बदल जाता है, पेड़-पौधों के पत्ते हरे-भरे बन जाते है उसी प्रकार देश के नवयुवक इन डालियाँ, कलियों के समान कोमल है परंतु इनमें से कुछ अभी तक निद्रित अवस्था में (मायूस और निराश) है| उन पर से मैं मेरा स्वप्न-मृदुल कर फेरूँगा अर्थात मुझे जो जीवन को सफल बनाने के उपाय मिल गए है उसका संचार मैं उन नवयुवकों के अंदर कर दूँगा जिससे उनके जीवन में एक प्रकाशमान मनोहर सुबह का आगमन होगा और उनका जीवन सफलता की और अग्रेसर होगा|
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पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं।
अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं।
भावार्थ _ ‘ध्वनि’ इस कविता के कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी है| इस कविता के तीसरे चरण के माध्यम से कवि कहना चाहते है कि मैं पुष्प-पुष्प से अर्थात नवयुवकों के स्वभाव से तंद्रालस (निंद के कारण होने वाला आलस) लालसा निकालकर, खींचकर बाहर फेंक दूँगा और अपने नव जीवन का अर्थात कवि को अभी-अभी मिल हुआ उत्साह, उमंग, जोश का अमृत नवयुवकों के स्वभाव में भर दूँगा|
apani bhasha
द्वार दिखा दूंगा फिर उनको
हैं वे मेरे जहाँ अनंत
अभी न होगा मेरा अंत।
भावार्थ _ ‘ध्वनि’ इस कविता के कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी है| इस कविता के चौथे चरण के माध्यम से कवि कहना चाहते है कि नवयुवकों के अंदर उत्साह, उमंग, जोश का अमृत सींच देने के बाद वे अपने लक्ष्य की तरफ, सफलता की तरफ, विकास की तरफ आगे-कूच करेंगे| कवि का जो लक्ष्य है वहाँ तक वे उनको पहुँचा देंगे अर्थात सफलता का द्वार नवयुवकों को दिखा देंगे| इतना सारा कार्य होने तक कवि का अंत नहीं होगा इस बात का कवि को पूरा विश्वास है|
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प्रश्न 1. उचित विकल्प चुनकर निम्नलिखित सवालों के जवाब दीजिए|
1) ‘ध्वनि’ इस कविता के कवि कौन हैं?
क) सुमित्रानंदन पंत ख) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
ग) भगवतीचरण वर्मा घ) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
2) अभी-अभी कवि के जीवन में क्या आया है?
क) शरद ख) हेमंत
ग) शिशिर घ) वसंत
3) वसंत आने के कारण पेड़ों के पत्ते कैसे बन गए हैं?
क) नीले-नीले ख) हरे-हरे
ग) लाल-लाल घ) पीले-पीले
4) वसंत आने के कारण डालियों और कलियों के शरीर कैसे बन गए हैं?
क) कोमल ख) कठोर
ग) खुरदरे घ) लंबे
5) कवि सुबह-सुबह क्या करना चाहते हैं?
क) घर जाकर स्नान करना चाहते हैं|
ख) अपना मृदुल हाथ कलियों पर से फेरना चाहते है|
ग) अपने आँगन में फूलों के पौधे लगाना चाहते हैं|
घ) फूलों पर मँडरा रही तितलियाँ पकड़ना चाहते हैं|
6) कवि क्या खींचने की बात कर रहे हैं?
क) पौधों से पुष्प ख) पुष्पों से भँवरे
ग) पुष्पों से मधुरस घ) पुष्पों से तंद्रालस
7) कवि अपने नव जीवन का अमृत किसमें सहर्ष सींचना चाहते हैं?
क) पत्थरों में ख) फूलों में
ग) पहाड़ों में घ) नदियों में
8) कवि फूलों को किसका द्वार दिखाना चाहते हैं?
क) मित्र का ख) शत्रु का
ग) अनंत का घ) खुद का
9) इस कविता में किस ऋतु का वर्णन किया गया है?
क) वसंत ख) शरद
ग) हेमंत घ) शिशिर
10) कवि फूलों के प्रतीक में किसको जाग्रत करना चाहते हैं?
क) जानवरों को ख) मनुष्यों को
ग) निराश मनुष्यों को घ) पक्षियों को
उत्तर :- 1) ख 2) घ 3) ख 4) क 5) ख
6) घ 7) ख 8) ग 9) क 10) ग
कविता से
प्रश्न 2. निम्नलिखित सवालों के जवाब लिखिए|
1) कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?
उत्तर :- कवि के मन में अभी-अभी मृदुल वसंत का आगमन हुआ है अर्थात नए उत्साह और नई उमंग से कवि ने कार्यारंभ किया है| उसे अभी बहूत कार्य करना बाकी है| नवयुवकों को तंद्रालस से बाहर निकालकर उनके अंदर जोश भरना है ताकि वे उत्साह के साथ अपने कार्य में सफलता हासिल करेंगे| यह नेक काम कवि कर रहा है और आगे भी कवि को करते रहना है इसलिए कवि को विश्वास है कि उसका अंत अभी नहीं होगा|
2) फूलों को अनंत तक
विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन सा प्रयास करता है?
उत्तर :- कवि उन फूलों के अंदर का आलस्य दूर करके नई उमंग उनमें भरना चाहता है| एक नई मनमोहक सुबह उनके जीवन में लाकर उन्हें उत्साही बनाकर विकास के ओर अग्रेसर करना चाहता है| इस प्रकार के प्रयासों से कवि फूलों को अनंत तक विकसित करने के प्रयास करता है|
3) कवि पुष्पों की
तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है?
उत्तर :- कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए अपना मृदुल हाथ उनके माथे पर से फेरना चाहता है, उनके अंदर नव चैतन्य का संचार करना चाहता है तथा पुष्प-पुष्प से तंद्रालस हटकर अपने जीवन के अमृत रूपी उत्साह और जोश को उनके अंदर भरके उन्हें जाग्रत करना चाहता है|
1) वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस मे चर्चा कीजिए|
उत्तर :- साल में छः ऋतु होते है i) वसंत ii) ग्रीष्म iii) वर्षा iv) शरद v) हेमंत vi) शिशिर| मौसम के अनुसार हर ऋतु में प्रकृति में बदलाव आ जाता है परंतु वसंत ऋतु में कुछ विशेष परिवर्तन प्रकृति को सौंदर्य से भर देते है जिससे प्रकृति सभी और से खिल उठती है| इसी कारण ही वसंत को ऋतुओं का राजा अर्थात ऋतुराज कहा जाता है| वसंत के आगमन से धरती सहित सभी प्राणिमात्र मानो झूम उठते है| पेड़ पौधे अपने पुराने पत्ते छोड़कर नए पत्ते धारण कर लेते है, कोयल कुहु-कुहु की आवाज से वातावरण को मंत्रमुग्ध कर देती है| आम के पेड़ मंजिरियों से लद जाते है| सरसों के खेत सोने के सागर की तरह लहराते है| इस ऋतु में कई त्योहार मनाए जाते है जिसमें – वसंत पंचमी, होली, महा शिवरात्रि आदि| वसंत ऋतु का मुख्य पर्व वसंत पंचमी है| वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है| माता सरावती विद्या की देवता होने के नाते विद्यार्थी इस दिन माता सरावती का पूजन करते है| वसंत ऋतु सभी प्राणिमात्र के लिए हर्ष उल्हास के दिन लेकर आता है| इसलिए वसंत ऋतु का स्थान सभी ऋतुओं में अग्रगण्य है|
2) वसंत ऋतु में आने वाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी
एक त्योहार पर निबंध लिखिए|
उत्तर :- वसंत ऋतु में कई प्रकार के त्योहार मनाए जाते है, जैसे- वसंत पंचमी, होली, महा शिवरात्रि आदि | वसंत ऋतु का मुख्य पर्व ‘वसंत पंचमी’ है अतः हम ‘वसंत पंचमी’ के बारे में निबंध लिखेंगे|
‘वसंत पंचमी’
“वसंत ऋतु ऋतुराज कहलाता है’
आगमन इसका मन को हर्षाता है”
वसंत के आगमन के साथ ही अनेवाला वसंत ऋतु का पहला त्योहार मतलब वसंत पंचमी| वसंत ऋतु शुरू होने पर पाँचवे दिन यह त्योहार आता है इसलिए यह वसंत पंचमी नाम से जाना जाता है| वसंत ऋतु का मुख्य पर्व वसंत पंचमी है| वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है| सरस्वती विद्या की देवता है| खासकर विद्यार्थी इस दिन माता सरस्वती को पूजते है|apani bhasha
“या देवी सर्वभूतेषु, विद्या रुपेण संस्थिता| नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||”
CBSE Class 7th Hindi – वसंत भाग – 2Chapter No. 1 ‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ - Solution
1) ‘ध्वनि’ इस कविता के कवि कौन हैं?
क) सुमित्रानंदन पंत ख) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
ग) भगवतीचरण वर्मा घ) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
2) अभी-अभी कवि के जीवन में क्या आया है?
क) शरद ख) हेमंत
ग) शिशिर घ) वसंत
3) वसंत आने के कारण पेड़ों के पत्ते कैसे बन गए हैं?
क) नीले-नीले ख) हरे-हरे
ग) लाल-लाल घ) पीले-पीले
4) वसंत आने के कारण डालियों और कलियों के शरीर कैसे बन गए हैं?
क) कोमल ख) कठोर
ग) खुरदरे घ) लंबे
5) कवि सुबह-सुबह क्या करना चाहते हैं?
क) घर जाकर स्नान करना चाहते हैं|
ख) अपना मृदुल हाथ कलियों पर से फेरना चाहते है|
ग) अपने आँगन में फूलों के पौधे लगाना चाहते हैं|
घ) फूलों पर मँडरा रही तितलियाँ पकड़ना चाहते हैं|
6) कवि क्या खींचने की बात कर रहे हैं?
क) पौधों से पुष्प ख) पुष्पों से भँवरे
ग) पुष्पों से मधुरस घ) पुष्पों से तंद्रालस
7) कवि अपने नव जीवन का अमृत किसमें सहर्ष सींचना चाहते हैं?
क) पत्थरों में ख) फूलों में
ग) पहाड़ों में घ) नदियों में
8) कवि फूलों को किसका द्वार दिखाना चाहते हैं?
क) मित्र का ख) शत्रु का
ग) अनंत का घ) खुद का
9) इस कविता में किस ऋतु का वर्णन किया गया है?
क) वसंत ख) शरद
ग) हेमंत घ) शिशिर
10) कवि फूलों के प्रतीक में किसको जाग्रत करना चाहते हैं?
क) जानवरों को ख) मनुष्यों को
ग) निराश मनुष्यों को घ) पक्षियों को
उत्तर :- 1) ख 2) घ 3) ख 4) क 5) ख
6) घ 7) ख 8) ग 9) क 10) ग
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कविता से
प्रश्न 2. निम्नलिखित सवालों के जवाब लिखिए|
1) कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?
उत्तर :- कवि के मन में अभी-अभी मृदुल वसंत का आगमन हुआ है अर्थात नए उत्साह और नई उमंग से कवि ने कार्यारंभ किया है| उसे अभी बहूत कार्य करना बाकी है| नवयुवकों को तंद्रालस से बाहर निकालकर उनके अंदर जोश भरना है ताकि वे उत्साह के साथ अपने कार्य में सफलता हासिल करेंगे| यह नेक काम कवि कर रहा है और आगे भी कवि को करते रहना है इसलिए कवि को विश्वास है कि उसका अंत अभी नहीं होगा|
उत्तर :- कवि उन फूलों के अंदर का आलस्य दूर करके नई उमंग उनमें भरना चाहता है| एक नई मनमोहक सुबह उनके जीवन में लाकर उन्हें उत्साही बनाकर विकास के ओर अग्रेसर करना चाहता है| इस प्रकार के प्रयासों से कवि फूलों को अनंत तक विकसित करने के प्रयास करता है|
उत्तर :- कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए अपना मृदुल हाथ उनके माथे पर से फेरना चाहता है, उनके अंदर नव चैतन्य का संचार करना चाहता है तथा पुष्प-पुष्प से तंद्रालस हटकर अपने जीवन के अमृत रूपी उत्साह और जोश को उनके अंदर भरके उन्हें जाग्रत करना चाहता है|
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कविता से
आगे
उत्तर :- साल में छः ऋतु होते है i) वसंत ii) ग्रीष्म iii) वर्षा iv) शरद v) हेमंत vi) शिशिर| मौसम के अनुसार हर ऋतु में प्रकृति में बदलाव आ जाता है परंतु वसंत ऋतु में कुछ विशेष परिवर्तन प्रकृति को सौंदर्य से भर देते है जिससे प्रकृति सभी और से खिल उठती है| इसी कारण ही वसंत को ऋतुओं का राजा अर्थात ऋतुराज कहा जाता है| वसंत के आगमन से धरती सहित सभी प्राणिमात्र मानो झूम उठते है| पेड़ पौधे अपने पुराने पत्ते छोड़कर नए पत्ते धारण कर लेते है, कोयल कुहु-कुहु की आवाज से वातावरण को मंत्रमुग्ध कर देती है| आम के पेड़ मंजिरियों से लद जाते है| सरसों के खेत सोने के सागर की तरह लहराते है| इस ऋतु में कई त्योहार मनाए जाते है जिसमें – वसंत पंचमी, होली, महा शिवरात्रि आदि| वसंत ऋतु का मुख्य पर्व वसंत पंचमी है| वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है| माता सरावती विद्या की देवता होने के नाते विद्यार्थी इस दिन माता सरावती का पूजन करते है| वसंत ऋतु सभी प्राणिमात्र के लिए हर्ष उल्हास के दिन लेकर आता है| इसलिए वसंत ऋतु का स्थान सभी ऋतुओं में अग्रगण्य है|
उत्तर :- वसंत ऋतु में कई प्रकार के त्योहार मनाए जाते है, जैसे- वसंत पंचमी, होली, महा शिवरात्रि आदि | वसंत ऋतु का मुख्य पर्व ‘वसंत पंचमी’ है अतः हम ‘वसंत पंचमी’ के बारे में निबंध लिखेंगे|
‘वसंत पंचमी’
“वसंत ऋतु ऋतुराज कहलाता है’
आगमन इसका मन को हर्षाता है”
वसंत के आगमन के साथ ही अनेवाला वसंत ऋतु का पहला त्योहार मतलब वसंत पंचमी| वसंत ऋतु शुरू होने पर पाँचवे दिन यह त्योहार आता है इसलिए यह वसंत पंचमी नाम से जाना जाता है| वसंत ऋतु का मुख्य पर्व वसंत पंचमी है| वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है| सरस्वती विद्या की देवता है| खासकर विद्यार्थी इस दिन माता सरस्वती को पूजते है|apani bhasha
“या देवी सर्वभूतेषु, विद्या रुपेण संस्थिता| नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||”
यह त्योहार ज्ञान की देवी माता सरस्वती को समर्पित है| यह
त्योहार इसलिए खास है क्योंकि यह वसंत के आगमन सूचित करता है| वसंत पंचमी माघ माह
के पाँचवे दिन आती है, वैसे तो माघ का यह पूरा महिना उत्साह देनेवाला है और उसमें
अनेवाला वसंत पंचमी का त्योहार भारत के जनजीवन को अनेक पहलुओं से प्रभावित करता
है| वसंत पंचमी का यह दिन माता सरस्वती के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है|
विद्यार्थी इस दिन माता के सामने नतमस्तक होकर अधिक ज्ञान संपन्न होने की
प्रार्थना करते है| जिस प्रकार जन्मदिन के मौके पर मनुष्य खुश राहता है उसी प्रकार
माता सरस्वती भी इस दिन खुश रहकर अपने भक्तों को कृपाशीर्वाद देती है| इन दिनों
सरसों के पीले-पीले खेत लहराते है उनका सौंदर्य देखने लायक बनाता है| फसलों की
कटाई के दिन नजदीक आने के कारण किसान खुश रहते है| प्रकृति अपना खूबसूरत रूप दिखती
है इस वजह से सभी लोग खुशी के साथ इस महीने में आने वाले त्योहारों को मानते है
जिसमें वसंत पंचमी भी है| विद्यार्थी, कलाकार, कवि, लेखक, गीतकार, नाटककार आदि तथा
कला से संबंधित सभी लोग इस दिन अपने-अपने कला या विद्या के साधनों का पूजन करते
है| इस प्रकार खुशियों के साथ यह त्योहार मनाया जाता है|
Apani bhasha | hindi kavita Dhvani | Question And Answer | 2021-22 | Apani bhasha | hindi kavita Dhvani | Question And Answer | 2021-22 | Apani bhasha | hindi kavita Dhvani | Question And Answer | 2021-22 |
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1 comments:
Click here for commentsBahut hi saral aur aasan bhasha me, Poem ka bhavarth bataya gaya hai.
Prashn Uttar bhi bahot saral bhasha me hai.
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